बॉलीवुड history
इन हिन्दी -
बॉलीवुड का इतिहास हिन्दी मे।
बॉलीवुड की history इन हिन्दी , बॉलीवुड की
हिस्ट्री यह एक ऐसा टॉपिक है, जिसे हर कोई जानना पसंद करेगा । क्योंकि हम
बॉलीवुड से इतने बंधे हुये है की आज भी हम उन पुरानी दिनो को भी याद करे तो हमे
बॉलीवुड का नाम जरूर याद आता है। बॉलीवुड का इतिहास काफी मजेदार रहा है, मतलब बॉलीवुड मे
हमेशा कुछ बदलाव आए है। और इन्ही बदलाव के कारण बॉलीवुड का नाम इतना बड़ा हो पाया
है। तो अगर आपके के भी मन मे कुछ सवाल हे , अगर आपको भी बॉलीवुड का इतिहास हिन्दी मे जानना
है तो आगे पढ़िये। आपको आपके हर सवाल का जवाब मिल गया। की आखिर कार बॉलीवुड कैसे
इतना सफल बन पाया। तो शुरुवात कराते है आज का टॉपिक बॉलीवुड history इन हिन्दी - भारतीय सिनेमा का इतिहास हिन्दी मे।
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बॉलीवुड |
बॉलीवुड ... बॉलीवुड हमेशा हमसे जुड़ा हुआ है, मानो बॉलीवुड
हमारे जीवन का वो हिस्सा हे जिसे हर भारतीय अपने यादों मे समेटे रेहता है । आज भी
लोग वे पुरानि फिल्मों को याद करते है, जो उंकए जमाने मे चलती आ रही थी, वे बॉलीवुड को अक्सर
याद करते है। चाहे हमारा मूड कैसा भी हो हम बॉलीवुड को याद करना नहीं भूलते , इन सब की वजह है
बॉलीवुड के dialogues जो हमे शुरुवात से ही लुभा रहे है, वो बॉलीवुड के
पुराने गाने जिसे आज भी लोग सुनना और गुन-गुना पसंद करते है। और कुछ dialogues जिन्हे भुला नहीं सकते जैसे
"कितने आदमी थे ?" से लेकर "Don
को पकड़ना मुश्किल ही नहीं... ना-मुमकिन है" तक हमारी कई सारी
यादे जुड़ी हुयी है। dialogues
के साथ साथ हम उन किरदार से भी जुड़े जाते है, जो हमे सालो तक
याद रहते है, और हम उनकी style को भी अपनाने लगते है। आप देखोगे की अगर कोई फिल्म बोहोत ही ज्यादा हिट होती
है लोग उस किरदार की स्टाइल को कॉपी कर लेते है, यही बाते हमे
बताती है की हम बॉलीवुड से कितने नज़दीक से जुड़े हुये है।
आप INDIA
के किसी भी घर मे जाओ आपको बॉलीवुड के चाहते
जरूर मिलेंगे। हम अगर बॉलीवुड से इतने जुड़े है तो हमे बॉलीवुड के बारे जरूर जानना
चाहिए की आखिर कार इस बॉलीवुड की शुरुवात कैसे हुई। कैसे इस बॉलीवुड के इतने सारे
चाहते मिल गए, जानिए बॉलीवुड history इन हिन्दी - बॉलीवुड का इतिहास हिन्दी मे।
भारतीय सिनेमा का नाम बॉलीवुड कैसे पड़ा?
आपके मन मे ये सवाल जरूर आता होगा की आखिर कार
बॉलीवुड ये शब्द आया कहा से ? आखिर क्यूँ भारतीय सिनेमा का नाम बॉलीवुड रखा
गया। तो अगर आपको इस बारे मे पता नहीं हे तो मे बता दूँ की आखिर कार भारतीय सिनेमा
का नाम Bollywood क्यू रखा गया तो इसका जवाब बोहोत ही सरल हे की
बॉलीवुड ये नाम कैसे आया।
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बॉम्बे + हॉलीवुड = बॉलीवुड |
इस सवाल का जवाब देने से पहले मे आपको बता दूँ
की जब भारतीय सिनेमा का निर्माण हुआ था तब सारी फ़िल्मे मुंबई मे बनाई जाती थी
बल्कि ये कहे तो ठीक होगा की मुंबई मे ही पूरे बॉलीवुड का जन्म हुआ। बता-दु की मुंबई
उस जमाने मे Bombay (बॉम्बे) के नाम से जाना जाता था। उसी वक़्त hollywood ( हॉलीवुड) नामक लॉस एंजिल्स में एक शहर है
जो अमेरिकन फिल्म इंडस्ट्री का एक बोहोत बड़ा आकर्षण था। तो आप अभी जान ही गए होगे
की बस हमने बॉम्बे से बॉ उठाया और हॉलीवुड से लीवुड और इसी तरह जन्म हुआ Bollywood (बॉलीवुड) का।
बॉलीवुड ये शब्द मुंबई
सिनेमा के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द है नाकी पूरे भारत के लिए। वैसे ही टॉलीवुड
का नाम भी आया। आज टॉलीवुड हो या फिर बॉलीवुड हम दर्शक सभी के फिल्मों को सरहाते
है।
भारत की पहिली फिल्म :
भारत की पहली फिल्म कोनसी थी
1800 सदी के भारत मे, सिनेमा आने के पहले भारतीय लोग मनोरंजन के लिए
शाम को इक्कठा होकर नाच गाना करते थे, कोई नुकके पे ड्रामा दिखाता था तो कोई रास्ते
पर ही नाच गाना दिखाता था। पहले के जमाने मे लोग ज्यादा तर जानवरों का इस्तेमाल कर
अपना मनोरंजन करत था , जैसे बंदर हाथी की मदत से लोग रास्ते पर
मनोरंजन दिखाते थे। लोगो बस यही मनोरंजन का साधन था। इस रास्ते के ऊपर मनोरंजन
देखने वाले लोगो के लिए बस यही एक बड़ा साधन था मनोरंजन का।
मनोरंजन का यह तरीका देख सन 1896
मे फ़्रांस के लूनीयर ब्रदर ने भारत का सबसे
पहला सिनेमा बनाया जो की पूरी तरह से मुक था, यानि वो सिनेमा पूरी तरह से silent था। ये काफी
विवादित विषय है की पहली बहरतीय फिल्म कोनसी क्योंकि कुछ लोगों ने तर्क दिया है कि पुंडलिक पहली भारतीय फिल्म
कहे जाने के सम्मान के लायक नहीं हैं (जिन्होंने भारत मे पहली फिल्म लायी थी)
क्योंकि यह एक लोकप्रिय मराठी नाटक की camera
recording थी , और क्योंकि कैमरा मैन- जॉन्सन नाम का एक
व्यक्ति ब्रिटिश नागरिक था और फिल्म London
में संसाधित हुई थी। इस वजह से इस फिल्म को
पहली भारतीय फिल्म से नवाजा नहीं जाता।
तो आंखीर कार पहली भारतीय फिल्म कोनसी? तो आपको बता दूँ
की भारत की सबसे पहली फिल्म दादा - साहब फाल्के ने बनाई जो 1913 मे आई थी। इस
फिल्म का नाम राजा-हरीशचंद्र था जो भारत की सबसे पहली फिल्म थी जो दादा - साहब
फाल्के ने बनाई थी। ये फिल्म भारत की सबसे पहले फिल्म होने के साथ साथ सबसे लंबी
भी थी। ये फिल्म ब्लॅक
& व्हाइट के साथ मुकि फिल्म थी, जिसके निर्देशक, editor, सबकुछ दादा - साहब फाल्के ही थे। इसी वजह से दादा - साहब फाल्के को भारतीय
फिल्म इंडस्ट्री का पिता माना जाता है।
1900 ये वही दशक था जब से भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को सही मायने मे एक दिशा मिली। इस
दौर मे भारत मे कई फ़िल्मे बनी, यही से बॉलीवुड की शुरुवात हुई। इसके बाद से
बॉलीवुड एक के बाद एक फ़िल्मे बना रही है जो आज भी इतिहास मे अमर है। इस दौर मे
बॉलीवुड को शुरुवात मिल गयी थी , फिर यहा से लेकर एक से बढ़कर एक फ़िल्मे निकलने
लगी।
शुरुवात मे बॉलीवुड की कैसी फ़िल्मे आती थी ?
भारत की पहली मुक फिल्म
बॉलीवुड मे फ़िल्मे बनाने की शुरुवात
हो चुकी थी, जब भारत मे 1913 मे पहली फिल्म आयी जो मुक थी मतलब silent
थी, उसके बाद एक एक करके फिल्मों का दौर भारत मे
आया। 1913 से लेकर 1918 तक कुल 23 भारत ने निकाल ली थी जो की बड़ी बात थी। दर्शक भी हर साल किसी फिल्म का इंतज़ार
कराते थे, यहा से ही हर किसी को फिल्मे मे रुचि आने लगी और , बॉलीवुड हर भारतीय
के लिए एक मनोरंजन का एक बड़ा साधन बन गया।
शुरुवाती दौर मे बॉलीवुड एक के बाद एक फ़िल्मे
बनाता था और वे फ़िल्मे सभी पौराणिक कथा-ओ पर आधारित थी। तभी परदेस मे हॉलीवुड की
भी जोरों से शुरुवात हो गयी थी, हॉलीवुड हमेशा actions पर फिल्मे बनती थी, तब हमारी भारत मे
सिर्फ मुक फ़िल्मे निकलती थी , जिनका आधार पौराणिक कथा पर था। हर भारतीयों को
उन फिल्मों को देख कर एक शांति मिलती थी क्योंकि उन्हे लगता था की वे कोई पौराणिक
कथा किसी नाटकीय रूप मे देख रहे है।
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पुरानी बॉलीवुड मूवीस कैसी हुआ करती थी। |
शुरुवाती दौर मे से ही लोग बॉलीवुड के चाहते
बने हुये थे। जैसे की हमने जाना की शुरुवाती फिल्मों का आधार पौराणिक कथाओ पर था, तब बॉलीवुड मे
सिर्फ कथा नाटकीय रुप मे दिखाई जाती थी, वे भी मुकि अवस्था मे थी। ये मुक फ़िल्मे होने
के बावजूद वे फ़िल्मे लोगो को कोई न कोई एक बड़ा संदेश दे जाती थी। ऐसे फिल्मों का
दौर 1931 मे खत्म हो गया जब बॉलीवुड की पहली बोलने वाली फिल्म आयी, इस फिल्म ने तो
दर्शको के लिए मनोरंजन की प्रसनता को और भी बढ़ा दिया। और बॉलीवुड भी इसी के साथ एक
अगले चरण तक पोहोच गया जहा से बॉलीवुड को एक नया चेहरा मिल गया था, इसी के साथ
बॉलीवुड को एक नयी पहचान भी मिल गयी थी। बॉलीवुड मे जब से बोलती फ़िल्मे आयी है तबसे बॉलीवुड
का हर कोई चाहता बन गया है।
बॉलीवुड की सबसे पहली बोलती फिल्म :
भारत की पहली बोलती फिल्म
1913
से लेकर 1930
तक भारत मे बॉलीवुड का सफर पर्दे पे चलने वाले
एक चित्र की तरह था, लेकी जैसे ही 1931 इस साल मे भारतीय
बॉलीवुड का पूरा तख़्ता पलट हो गया जब बॉलीवुड की पहली बोलती फिल्म आयी। बॉलीवुड के
इस कदम ने बॉलीवुड को एक नया चेहरा दिया जिससे बॉलीवुड का पूरा नक्शा बदल कर रख
दिया।
1931
को आते आते बॉलीवुड मे बोहोत बदलाव आए पर जब 1931 मे अर्देशिर ईरानी ने आलम आरा इस फिल्म का
निर्माण किया जो भारत की सबसे पहिली बोलने वाली फिल्म थी। जिसमे गानों का , संगीत का , और कलाकार के
आवाज़ का समावेश था। अगर हम ईरानी साहब को बॉलीवुड को एक नयी दिशा देने वाले कहे
तो कुछ गलत नहीं होगा, क्योंकि इस फिल्म के बाद बॉलीवुड कभी नहीं
रुका।
आलम आरा जो की भारत की
पहली बोलने वाली फिल्म थी जिसके निर्माता सर ईरानी थी, उनके बारे मे एक
बोहोत बड़ी बात हे की इस फिल्म मे उन्होने खुद, इस फिल्म का लेखन, निर्देशन, फिल्म वितरक, फिल्म showman, निर्माता, अभिनेता, और सिनेमैटोग्राफर हो चुके है। ये काफी सोचने वाली बात है की उन्होने इस फिल्म
को बनाने मे कितनी मेहनत ली है। इस फिल्म के निर्मातावों को जब ईस फिल्म के बारे
मे पूछा तब उन्होने यह बताया की
"आलम आरा यह फिल्म पहली बोलने फिल्म होने के
बावजूद इस फिल्म का मुख्य सार गानो पर है"। और यह सच बात है की इस फिल्म की कहानी गानो
और संगीत के माध्यम से दिखाया गया है। इस फिल्म के संगीत को भी एक बोहोत बड़ी सफलता
मिली थी। जो की हारमोनियम की मदत से बजाया जाता था। पहले के जमाने मे भारत मे यही
परंपरा थी की कोई भी कहानी संगीत के माध्यम से सुनाई जाती थी, तो इसी फिल्म मे
भी कहानी संगीत के माध्यम से ही बताई गयी है।
इस फिल्म के तीन मुख्य
कलाकार जिसमे - मास्टर विट्ठल,
जुबैदा,
और
पृथ्वी राज कपूर इनका नाम शामिल है। आलम आरा इस फिल्म की कहानी
राजकुमार और बंजारन लड़की की प्रेम कथा है। इस फिल्म का एक गाना "दे दे खुदा के नाम पर" जो आज भी प्रसिद्ध
है। इस गाने की एक यह भी ख़ासियत है की यह गाना भारतीय सिनेमा-घरो का सबसे पहला
गाना है, जिसे वजिर मोहम्मद खान ने गाया था।
बॉलीवुड ने इसके
बाद बढ़ चढ़ कर फ़िल्मे बनाई जो हर भारतीयों के जीवन मे कुछ एक मूल्य डालता था। हर
भारतीय बॉलीवुड फिल्म लोगो को एक नया संदेश दे जाती थी।
बॉलीवुड की सबसे पहली रंगीन फिल्म :
भारत की पहली रंगीन फिल्म
जब 1931
मे बॉलीवुड ने एक बोलने वाली फिल्म निर्माण कर
बॉलीवुड को एक नई दिशा दी थी। लेकिन वे फिल्मे black & white मे थी जिसमे किसी
भी रंगीन दृश्य का समावेश नहीं था। और इस रंगीन चित्रण को बॉलीवुड मे आने को भी
कुछ ज्यादा देरी नहीं लगी।
1966 मे आयी किसन कन्हैया इस फिल्म ने
भारतीय सिनेमा का सबसे पहली रंगीन फिल्म का किताब हासिल किया। जो की सबसे पहली
रंगीन फिल्म थी। किसान कन्हैया इस फिल्म को मोती गिडवानी इन्होने direct किया था, जिसके producer अर्देशिर ईरानी थे जिन्होंने भारत की सबसे पहली बोलती फिल्म बनाई
थी। किसन कन्हैया इस फिल्म मे कई मुख्य कलाकार थे जीनमे पद्मा देवी जो बंसारी के
किरदार मे थी, ज़िल्लू जो रामदाई के रूप नमे थे। उसके साथ साथ
ग्युलम महोमेद जो
रणधीर ईद किरदार मे थे वाइसेही निस्सर , सायेड आमेद , और गनी जो जमींदार के रूप मे
थे। इस फिल्म मे कुल्ल 10 गाने थे, जो फिल्म मे एक नए अंदाज़ मे दिखाये गए है। इस
फिल्म मे एक बेहतर स्टोरी के साथ साथ एक अच्छा संदेश भी देने की कोशिश की है, जो काफी तारीफ के
लायक है।
भारतीय सिनेमा की शुरुवात से ही बोहोत बड़े बदलाव आए जिससे पूरे भारतीय सिनेमा
को एक नयी दिशा और एक नयी पहचान मिली। ये वही दौर था जब बॉलीवुड के चाहते हर तरफ
बढ़ने लगे। अब भारतीय सिनेमा के चाहते सिर्फ भारतीय नहीं बल्कि परदे शो मे भी
भारतीय सिनेमा की चर्चे होने लगे।
हिन्दी फिल्मों के अलावा दूसरे भाषावों मे फिल्म...
1900 के जमाने मे सिर्फ हिन्दी मे फिल्मे नहीं बनती थी बल्कि और भी कह़ी राज्यों मे
फ़िल्मे बनाई जाती थी। जैसे की 1917
मे बनी पहिली बंगाली फिल्म नल हामी यंती जो दिखाता है की भारतीय कलाकारों की कलकारी उभर के सारी
दुनिया के सामने आ रही थी।
इस दौर मे फिल्मे हर भारतीय के
मनोरंजन का साधन बन गयी थी, जैसे जैसे फिल्मे बनते गए वैसे वैसे नए कलाकार
सामने आने लगे, हर राज्यो से कोई न कोई कलाकार सामने आने लगे और अपने कलाकारी के डैम पर सारे
भारतीयों का दिल जीतते गए।
1932 मे जब भारत की सबसे पहली फिल्म बनी थी तभी 1932 मे एक मराठी फिल्म
भी बनी थी जिसका नाम अयोध्याचा राजा था। मराठी ही नहीं
बल्कि साउथ मूवीस की शुरुवात भी इसी समय हुई थी जब साउथ की पहली फिल्म किचालौद्दन आयी जो ये दिखाता है की जब से भारतीय सिनेमा की शुरुवात हुई है, हर कोई लगा था
लोगो के दिल जीतने को जो साथ ही बॉलीवुड को भी आगे ले जा रहा था। देखा जाये तो
पहले के जमाने मे मनोरंजन के साधन बोहोत ही कम थे मानो ना के बराबर, तो भारतीय सिनेमा
जो मनोरंजन मे सबसे आगे थी वे सब उन्ही लोगो की वजह से जो मेहनत कर लोगो को एक
अच्छी फिल्म दिखाते थे।
हिन्दी सिनेमा मे बदलाव
समय के साथ साथ बॉलीवुड मे कई सारे बदलाव आए, इन्ही बदलावों के
वजह से बॉलीवुड हर तरह के फिल्मे निकलता गया और सारी दुनिया मे अपना नाम करता गया।
भारतीय सिनेमा के लिए सुवर्ण साल :
1950-1960
1950 : बॉलीवुड के लिए आधुनिक साल
1949, ये वो दौर था जब बॉलीवुड एक नए आधुनिक फ़िल्मे बनाता गया जो एक आम आदमी के
जीवन को दिखती है। इस दौर मे बॉलीवुड को एक नयी दिशा मिल गयी थी, मानो इसी वजह से
बॉलीवुड को नए नज़रिए से देखा जाने लगा। शूकर हे उन लोगो जो बॉलीवुड को ऐसा रूप दे
सके। आमतौर पर 1950 से कुछ ऐसी फ़िल्मे आने लगी जो उस टाइम के हालत बताते थे, जैसे की एक गरीब
आदमी की जिंदगी कैसे होती है, भारतीय आम आदमी अपनी जिंदगी कैसे गुजरता है, ऐसे कुछ विषयों पर
फ़िल्मे निकलने लगी।
1950 वही दौर था जब भारत मे आर्थिक मंदी की भी मर थी इस वजह से सभी लोग इन फिल्मों
से कुछ न कुछ सीखते थे , मतलब ये सभी फिल्म मानो आम आदमी के लिए बनाई
गयी हो की एक common man की जिंदगी कैसी सुधारी जा सकती है।
टॉप 7 : 1950 की हिट फ़िल्मे
1.
|
समाधि
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2.
|
बाबुल
|
3.
|
दास्तां
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4.
|
जोगन
|
5.
|
हर
हर महादेव
|
6.
|
संग्राम
|
7.
|
बेक़सूर
|
इस दौर मे बॉलीवुड सिर्फ आम आदमी के ऊपर ही
नहीं बल्कि समाज पर, गरीबी - अमीरी, भारतीय लोग, ऐसे कुछ फिल्मे इस
1950 से निकलने लगी जो हर भारतीयो की सोच को भी एक नयी दिशा देने लगी। हिन्दी सिनेमा /
भारतीय सिनेमा इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा था की हर साल बॉलीवुड को कलाकार के रूप नए
चेहरे मिलते थे, कुछ ऐसे चेहरे जिनका नाम आज भी बॉलीवुड मे स्वर्ण अक्षर से लिखा जाता है। उनकी
मेहनत की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम।
1960 : नए कलाकार और नए निर्देशक
इस साल मे कुछ उम्मत कलाकार और बड़े निर्देशक
बॉलीवुड को मिले जिन्होंने बॉलीवुड को कुछ नई कहानियो से सजाया जो हर भारतीय को
पसंद आने लगी। इसी दौर मे ऋत्विक घटक और मृणाल साइन जैसे महान
निर्देशक बॉलीवुड को मिले जिनका नाम बॉलीवुड के इतिहास मे स्वर्ण अक्षर मे लिखा
है। इन्ही के बदौलत बॉलीवुड को एक उच्ची उड़ान भरने का मौका मिला। सिर्फ उनकी ही
नहीं ऐसे कुछ कलाकार बॉलीवुड को मिले जो आज भी भुलाए नहीं जा सकते।
बॉलीवुड को जीतने भी पुराने कलाकार मिले है
उन्होने अपना काम खूब ईमानदारी से निभाया है, उनकी ही वजह से आज भी लोग पुराने बॉलीवुड को
नहीं भुला पाते।
टॉप 7 : 1960 की हिट फ़िल्मे
1.
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मुग़ल-ये-आजम
|
2.
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बरसात की रात
|
3.
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कोहिनूर
|
4.
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चौदवीं का चंद
|
5.
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जिस देश मे गंगा
बहती है
|
6.
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दिल अपना और
प्रीत पराई
|
7.
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लव इन सिमला
|
1950 और 1960 के कुछ कलाकार : जिन्हे भूल पाना मुश्किल है !
01. दिलीप कुमार
03. राज कपूर
04. गुरु दत्त
05. किशोर कुमार
06. अशोक कुमार
07. पृथ्वीराज कपूर
08. बलराज साहनी
09. जोहनी वॉकर
10. भारत भूषण
1970 - 1980 : भारतीय सिनेमा के लिए बुरा वक्त
1970 के बॉलीवुड की कहानी :
1970 ये वही दशक है जब बॉलीवुड के पैर लड़खड़ाता हुआ नजर आने लगा, इसका कारण तह की
दूसरे देश मे हॉलीवुड इतनी धूम मचा रहा था की बॉलीवुड की फ़िल्मे उसके सामने फीके
पड़ने लगे। ये वही दौर हे जब बॉलीवुड को कुछ नया करने की जरूरत थी, कुछ ऐसा नया की जो
आज तक किसने नहीं किया, कुछ नयी कहानी जो बॉलीवुड को एक अच्छा रूप दे
सके। इस दौर मे बॉलीवुड फ़िल्मे बना तो रहा था पर, हर फिल्म मे कुछ
एक ही बात बताई जाती थी जैसे की हर फिल्म मे आम आदमी या फिर समाज के बारे मे संदेश
दिया जाता था। वही दूसरी तरफ हॉलीवुड पूरा दम लगा रहा था आगे बढ़ने की, हॉलीवुड हमेशा से
ही कुछ नया और धमाकेदार कोशिश से काफी फिल्म चहेते को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था।
ऐसा लग रहा था मानो बॉलीवुड के चहेते दिन पर
दिन कम हो रहे थे। ये 10 साल बॉलीवुड कभी भुला नहीं पाएगा, हालाकी फिल्म के
दीवाने भारत मे बोहोत थे पर अगर बॉलीवुड को आगे बढ़ना था तो कुछ नया करने की जरूरत
थी, जो किससे नहीं हो पा रहा था। जैसे हॉलीवुड को देखा जाए वो पूरी कोशिश के साथ
आगे बढ़ रहा था। हर साल हॉलीवुड कुछ नया अपने दर्शकों के लिए लाते रहता था, वैसे मे बॉलीवुड
को जरूरत थी एक ऐसी कहानी की जो उसे पूरी तरह से बदल के रखदे। और ऐसा हुआ भी जो
आपको आगे पढ़ने पर पता चलेगा, बॉलीवुड ने इन 10 सालो मे इतना सीखा
की वो पिछले 40 सालो मे नहीं समाज सका, बॉलीवुड को अब पता चल चुका था की बदलाव ही असली
तरक्की की चाबी है।
आगे पढ़ने पर आपको
पता चलेगा की बॉलीवुड इतनी तरक्की कैसे कर पाया, उसके इस तरक्की के
पीछे ऐसा क्या हुआ था की इतने हार के बावजूद बॉलीवुड ने अपना रुतबा कायम रखा। 1980 के बाद से बॉलीवुड
हर साल अपने चाहतों के लिए नयी फ़िल्मे लाते रहता था। यहा नयी फिल्मों का मेरा
मतलब है की हर साल कुछ नयी concept
के साथ बॉलीवुड आगे बढ़ता गया। अब बॉलीवुड की
शुरुवात हो चुकी थी आगे बढ़ाने की और पूरी दुनिया मे अपना जलवा दिखने के लिए।
बॉलीवुड की सबसे पहली blockbuster फिल्म : 1975
जैसा की आपने बॉलीवुड के उस इतिहास को देखा जब
बॉलीवुड ने फिल्मों मे बोहोत सारे बदलाव लाये, काफी सारे संदेश
दर्शकों को दिया, साथ ही साथ दर्शकों को बोहोत सारा मनोरंजन भी दिया। वही बॉलीवुड जो सबका चहेता
था वही 1970 के दशक मे थोड़ा कमजोर हो गया था। उसी बॉलीवुड ने सारी दुनिया को अपने ताकत का
अंदाजा दिया जब 15 अगस्त , 1975 मे बॉलीवुड ने शोले यह फिल्म दर्शकों
के सामने प्रस्तुत की। अगर आपने शोले नहीं देखि तो मे नहीं मनाता की आप बॉलीवुड को
पसंद करता हो। अगर आप 1900s
मे पाले हो तो आपने जरूर शोले देखि होगी।
आज भी शोले इस फिल्म का नाम आता है तो , लोग उन बड़े-बड़े
डायलॉग को याद करने लगते, उस दोस्ती को याद कराते है जो जय और वीरू मई
थी। ये फिल्म ही ऐसी थी की इसे भुला पान नामुमकिन है। "ये दोस्ती... हम
नहीं तोड़ेंगे " यह गाना अभी भी लोगो के मन को लुभाता है। आज भी
चाहे वो पुराने लोग हो या अभी modern
जमाने के बच्चे हो वो भी इस गाने को उतनी ही
प्यार के साथ गाते है।
शोले इस फिल्म के बारे मे बताया जाये तो, इस फिल्म ने
बॉलीवुड के सारे records
तोड़ दिये थे। इस फिल्म को देखने के लिए लोग भीड़
मे घंटो तक खड़े रहते थे। बच्चे , बूढ़े, जवान सब लोग इस फिल्म को देखने के लिए तड़पते
धुप मे भी खड़े रहते थे। इस फिल्म ने बता दिया की बॉलीवुड की ये बस एक शुरुवात है, और अभी तो कोसो
दूर तक बॉलीवुड को जाना है, यवए बात इस फिल्म ने बता दी थी।
इस फिल्म के dialogues इतने दमदार और unique थी की आज भी लोगो
को शोले नाम सुनते ही, ज़ुबान पर "कितने आदमी थे.... " ऐसे डायलॉग आते है। फिल्म मे एक कलाकार की बात करे तो इस फिल्म मे hero से ज्यादा villain के किरदार को काफी पसंद किया जो गब्बर के नाम से जाना जाता था।
शोले फिल्म के कुछ मशहूर dialogues :
शोले मूवी के dialogues:
- ये हाथ हमको देदे ठाकुर
- कितने आदमी थे…
- अब तेरा क्या होगा कालिया
- जो दर गया समाजो मर गया
- तुम्हारा नाम क्या है
बसंती
- लोहा गरम हे, मर दो हथौड़ा
- इतना सन्नाटा क्यूँ है
भाई
- बसंती इन कुत्तो के सामने
मत नाचना
- सुवर के बच्छों
- ये हाथ नहीं फांसी का
फंडा है गब्बर …
ऐसे ही कुछ dialogues हे इस फिल्म के जो
आज भी लोगो के जुबा पर अमर है...।
शोले इस मूवी ने रातों रात अमिताभ बच्छन के साथ
साथ सभी कलाकारों को पहचान दिला दी। हर कोई उनको एक नए नज़रिए से देखने लगा।
1990 : बॉलीवुड को मिले नए चेहरे
1990 इस दशक मे बॉलीवुड को काफी सारे नए चेहरे मिले जो, बॉलीवुड को और आगे
तक लेके गए। 1975 के बाद जब से शोले निकली दर्शकों का नज़रिया बॉलीवुड के प्रति बादल सा गया ।
जिससे बॉलीवुड को भी एक नयी पहचान मिली। उसके साथ-साथ बॉलीवुड मे जैसे ही नए चेहरे
आए, लोगो का बॉलीवुड के प्रति और प्यार बढ़ा। और बॉलीवुड नए आसमान की उचाई तक पोहोच
गया।
इस दशक मे बॉलीवुड ने अपने दर्शकों के एक के
बाद एक बढ़िया फ़िल्मे लायी और यही से दर्शक और बॉलीवुड का रिश्ता काफी गहरा हो
गया। ये वही वक़्त था जब बॉलीवुड को तीनों खान मिले। जिन्हे लोग बॉलीवुड के तीन
सितारे बोल कर पुकारते थे, क्योंकि उस टाइम ये तीनों ही बॉलीवुड के सबसे
बड़े सितारों मे से थे जो सारी बॉलीवुड का आकर्षण थे। लोगो का मानना था की बॉलीवुड
को बस ये तीनों खान ही चला रहे है, और ये सही भी था की उस वक्त बॉलीवुड को बस ये
तीनों खान ही चला रहे थे।
तो ये थी बॉलीवुड की कहानी जो 1990 तक चली। इस
बॉलीवुड मे सिर्फ आपको एक्शन से भर हुआ माहौल , या फिर दर्द से
भरी हुई कहानियाँ दिखाई जाती थी। इसके आगे का बॉलीवुड काफी बादला, उस नए बॉलीवुड मे emotions थी, प्यार था, comedy- मज़ाक थी, और भी उस नए बॉलीवुड मे था जो आपको आगे पढ़के
पता चलेगा ही।
बॉलीवुड का नया चेहरा
1995 के बाद का बॉलीवुड :
जैसा की आपने देखा की बॉलीवुड हर साल अपने आप
मे कुछ न कुछ बदलाव लाता गया, कुछ ऐसे बदलाव की इन्ही बदलाव के कारण बॉलीवुड
आगे बढ़ पाया। वैसे ही अब बॉलीवुड को एक बादल व की जरूरत थी, क्योंकि देखा जाये
तो बॉलीवुड मे सिर्फ action
से भरी मूवीस निकलती थी जो दर्शकों को पसंद भी
आती पर बॉलीवुड को अब जरूरत थी कुछ नया करने की, क्योंकि इससे
दर्शकों से संबंध और भी बढ़े।
आखिर कार बॉलीवुड का वक़्त बादल गया, जब सलमान खान की फिल्म "हम आपके है कौन"
रिलीज हुई, इस फिल्म ने
बॉलीवुड पर कुछ ऐसा जादू
किया जिसने बॉलीवुड का रूप ही बादल कर रख दिया।
इस मुवि ने फैमिली ड्रामा का कुछ ऐसा जादू दिखाया। सारे दर्शक जो अभी तक सिर्फ actions मूवीस के दीवाने थे वही अब फैमिली ड्रामा से रूबरू हो गए। अभी तक सारी बॉलीवुड
के फिल्म मे दिखाया जाता था की एक हीरो होता है जो एक विलन को हराकर जीत हासिल
करता है। पर अगर आपने "हम आपके है कोण"
यह फिल्म देखि होगी तो अपने देखा होगा की इस
मूवी मे सारा ड्रामा फैमिली मे दिखाया गया है, और नहीं इस मूवी
कोई negative किरदार दिखाया गया है। जो इस फिल्म को एक नया
रूप देने के साथ साथ इस फिल्म ने बॉलीवुड को भी एक नया रूप दिया।
बॉलीवुड मे प्यार भरी कहानियो की शुरुवात :
वो दौर आ ही गया जिसमे शाहरुख खान ने हाथ फैला
कर बॉलीवुड मे प्यार की entry
कारवाई। सन 1995 मे जब शाहरुख खान
की फिल्म "दिलवाले दुलहनीय ले जाएंगे
" यह फिल्म निकली तभी बॉलीवुड मे प्यार की एंट्री
हो गयी। तभी से शाहरुख खान बॉलीवुड के romeo
जाने जाते है। ऐसा romeo जिसने लोगो को
प्यार करना सिखाया। शाहरुख खान को इस अंदाजे को बरकरार कर बॉलीवुड मे love stories की फिल्मे आणि लगी जो दर्शको को लुभाने लगी।
इसी तरह बॉलीवुड का 20-वा दशक प्यार से
खत्म हुआ। बाद मे बॉलीवुड 21 सदी मे धूम मचाने वाला है , ये सब को पता था ।
और ऐसा हुआ भी जब hritik
roshan जैसे उम्दा कलाकार बॉलीवुड को मिला। जब 21 की सदी मे hritik roshan की "कहो ना प्यार है...
" निकली तब सारे बॉलीवुड मे hritik ने अपना नाम रोशन
कर दिया। यह वही फिल्म थी जिसने hritik
को बड़े पर्दे पर सही मायने मे अपनी पहचान
दिलवाई।
और भी आगे जाते जाते बॉलीवुड ने कई सारे नए
चेहरे पाये। और तभी से बॉलीवुड कभी नहीं रुका। बॉलीवुड ने अपना नाम सारी दुनिया
फैलाया। जब बॉलीवुड ने दंगल और बाहुबली जैसी फ़िल्मे
दुनिया के सामने रखी जो international
परदे पे दिखाई जाने लगी तब ऐसा साबित हुआ की
बॉलीवुड अब किसी को भी टक्कर दे सकता है।
तो यह थी बॉलीवुड की कहानी जिसे आपने कभी नहीं
सुनी होगी, बॉलीवुड history इन हिन्दी - भारतीय सिनेमा का इतिहास हिन्दी
मे, इस पोस्ट मे अपने बॉलीवुड की पूरी कहानी पढ़ ली होगी ऐसी मे आशा करता हूँ। अगर
आपको बॉलीवुड के लिए कुछ और भी सवाल हो या फिर और कुछ बॉलीवुड के बारे मे जानना हो
तो नीचे comment कर जरूर बताए, और हमे आपके साथ
जुड़ने का मौका दे।
बॉलीवुड history इन हिन्दी - भारतीय सिनेमा का इतिहास हिन्दी मे -
इसमे आपने क्या देखा:
बॉलीवुड history
इन हिन्दी - भारतीय सिनेमा का इतिहास हिन्दी
मे - शॉर्ट summary :
बॉलीवुड history
इन हिन्दी - भारतीय सिनेमा का इतिहास हिन्दी
मे। इस पोस्ट मे मैंने आपको बॉलीवुड के इतिहास की हर एक बात बताने की कोशिश की जो
मे जानता हूँ। इस पोस्ट मे आप देखेंगे की आप शुरुवात से बॉलीवुड की सैर करोगे। आप
शुरुवात से ही बॉलीवुड की कहानी से रूबरू होगे। आप देखोगे की बॉलीवुड मे पहले से
ही कितने बदलाव ल रहा है, शायद यही वे वजह है की आज भी लोग बॉलीवुड के
इतने दीवाने है। बॉलीवुड आते ही सारे भारतीयों के मनोरंजन का सहारा बन गया।
बॉलीवुड history
इन हिन्दी - भारतीय सिनेमा का इतिहास हिन्दी
मे, ईस पोस्ट मे आप नीचे दिये गए विषयों के बारे मे जानोगे। कुछ ऐसे विषय है की आप
उससे सारे बॉलीवुड सैर कर सकते हो।
- भारतीय सिनेमा का नाम बॉलीवुड कैसे पड़ा?
- भारत की
पहिली फिल्म :
भारत की पहली फिल्म कोनसी थी
- शुरुवात मे
बॉलीवुड की कैसी फ़िल्मे आती थी ?
- भारत की
पहली मुक फिल्म
- बॉलीवुड की सबसे पहली बोलती फिल्म :
भारत की पहली बोलती फिल्म
- बॉलीवुड की सबसे पहली रंगीन फिल्म :
भारत की पहली रंगीन फिल्म
- हिन्दी फिल्मों के अलावा दूसरे भाषावों मे फिल्म
- हिन्दी सिनेमा मे बदलाव
- भारतीय सिनेमा के लिए सुवर्ण साल : 1950-1960
- 1950 : बॉलीवुड के लिए आधुनिक साल
टॉप 7 :
1950 की हिट फ़िल्मे
- 1960 : नए कलाकार और नए निर्देशक
टॉप 7 :
1960 की हिट फ़िल्मे
- 1950 और 1960 के कुछ कलाकार : जिन्हे भूल पाना मुश्किल है !
- 1970 -
1980 : भारतीय
सिनेमा के लिए बुरा वक्त
- 1970 के बॉलीवुड की कहानी :
- बॉलीवुड की सबसे पहली blockbuster फिल्म : 1975
- शोले फिल्म के कुछ मशहूर dialogues :
शोले मूवी के dialogues:
- 1990 : बॉलीवुड को मिले नए चेहरे
- बॉलीवुड का नया चेहरा
1995 के बाद का बॉलीवुड :
और यही से अलविदा लेते हुये बॉलीवुड history इन हिन्दी - बॉलीवुड का इतिहास हिन्दी मे, यह पोस्ट हम यही खतम करते है। हम शुरुवात से ही बॉलीवुड को प्यार देते आ रहे है। आशा हे बॉलीवुड हमे ऐसे ही मनोरंजित करता रहे और हमारा बॉलीवुड के प्रति प्यार ऐसा ही बना रहे।
मचाते रहो !!
जय हिन्द !
Wow! This article contains the whole history of the Bollywood ....thanks for that
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