हज यात्रा क्या है | हज की पूरी जानकरी इन हिंदी
हज यात्रा क्या हे, और हज यात्रा कैसे होता है, और साथ में हज यात्रा की पूरी जानकारी
हम इस आर्टिकल मे देखने वाले हे की आख़िर कर हर मुसलमान हर मुसलमान हज यात्रा पे क्यों जाते है? ऐसा क्या होता हे हज यात्रा मे की उसे दुनिया भर के मुसलमान अपने जीवन मे हज यात्रा
करने ज़रूर जाते है. तो अगर आप जानना चाहते हे
की हज यात्रा कैसे करते है और हज यात्रा मे क्या होता है तो आगे पढ़ते रहे.
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मक्का का काबा : मक्का की सबसे बड़ी मस्जिद |
हज यात्रा क्या है इसकी पूरी जानकारी.
हज यात्रा हर मुसलमान की जिंदगी का वो पड़ाव है, वो स्तम्भ है जो उसे करने का हुक्म खुद रब ने दिया है. हर मुसलमान उसके जीवन में एक बार हज करने जरूर जाता है , जैसे कई धर्मो के लोग अपने अपने किसी मंदिर, या यात्रा पे जाते है वैसे ही हर मुसलमान हज यात्रा पे जाना पवित्र और जरुरी मनाता है . हज यात्रा सौदी अरब मे स्थित मक्का मे जाकर होती है जहा पूरी दुनिया से लाखो लोग हज यात्रा करने आते है.
मुसलमान के बुनियाद के वो 5 स्तम्भ :
मुसलमान के जीवन के ५ सबसे महत्वपूर्ण बाते जो उसे follow करनी ही चाहिए ,
जो नीचे दिए है.
- शहदा
वा तावहीद
- इसका
मतलब हे
अल्लाह की
गवाही देना
की हे
अल्लाह तू
ही सबसे
बड़ा है,
तेरे सिवा
हमारा कोई
नही, हमारा
भगवान बस
अल्लाह है,
तू अकेला
है, तूने
ही हमे
बनाया है.
- नमाज़
- हर
मुसलमान का
सबसे पवित्र
कर्तव्य नमाज़
है , जो
हर मुसलमान
अपनी पूरी
जिंदगी इसे
हर दिन
5 बार नमाज़
पढ़कर अता
करता है. नमाज में मुसलमान अल्लाह की इबादत करता है और सबके लिए, खुदके लिए, अपने परिव्वार के लिए दुआ करता है .
- ज़कात
- हर
मुसलमान को
अपने पुरे
साल के
मुनाफ़े से
कुच्छ दान
ग़रीबों मे
देना होता
है उसे
ज़कात कहते
कहा जाता
है. अगर
कोई मुसलमान
मुनाफ़ा नही
कमाता तो
उसे ज़कात
करने की
इजाज़त नही
पर अगर
उसे अल्लाह
के करम
से मुनाफ़ा
हो रहा
है, तो
उसे उस
धनराशि का जकात यानी अपने पास जो कुछ है , जैसे पैसा, कपड़ा, खाना, दुआ, जो भी हो अगर हम वो किसी और को देने के लिए काबिल हो तो उसे जकात कहा गया है .
- रोज़ा
- रमज़ान
महीने मे
हर मुसलमान
रोज़े रखता
है, हर
मुसलमान का
ये चौथा
कर्तव्य है.
रमज़ान के
महीने के
दौरान, मुसलमानों
ने सुबह
से लेकर
शाम तक
भोजन, पानी
, और सभी
कामुक सुखों
को त्याग
आदेशों का
पालन किया।
रोज़ा को
इस्लामिक न्याय
शास्त्र द्वारा
नियंत्रित किया
जाता है।
लोकप्रिय गैर-इस्लामिक
धारणा के
विपरीत, मुसलमानों
द्वारा इसका
पालन रमज़ान
के पवित्र
महीने तक
ही सीमित
नहीं है.
- हज - आख़िर मे आता हे हज जिसका आदेश क़ुरान मे दिया हे की हर मुसलमान को मक्का मे आकर हज करना होगा. ये नियम हर किसी पर लागू नही होते. ऐसे भी लोग होते हे जो कुछ भी करके मक्का - मदीना आ नहीं सकते उनके लिए हज करना माफ़ है जिसके बारे में निचे दिया हुआ है .
मुसलमान के जीवन के ५ सबसे महत्वपूर्ण बाते जो उसे follow करनी ही चाहिए है, जिसे मुसलमान के जिंदगी के ५ महत्वपूर्ण पड़ाव भी कहा गया है. हर मुसलमान इन 5 पड़ाव को हर हाल मे पूरा करता हे. ५ वा पड़ाव यानी ५वा पड़ाव सबसे महत्वपूर्ण होता है , जो सिर्फ हज करके ही मुकम्मल होता है . जहा उसे अपना पाँचवाँ और आख़िरी पड़ाव अता करने का मौका मिलता है. इसी पाँचवें और आख़िरी पड़ाव को हज यात्रा कहते है जिसे हर मुसलमान करना चाहता है.
शहदा वा तावहीद , नमाज़ , ज़कात , रोज़ा ये चार ऐसे सुख हे जो हर मुसलमान कही भी और दुनिया के किसी भी कोने मे कर सकता है, पर हज करने के लिए आपको हज करने के लिए साओदी अराब मे ही आना होगा. जिसे अल्लाह का घर भी माना जाता है और हर मुसलमान की हज यात्रा यही आ के पूरी होती है.
हज करने की छुट किसे है
हज एक ऐसी पवित्र यात्रा है जिसे करने का आदेश खुद उपर वाले ने क़ुरान मे तीसरी सूरत के अल इमरान की आयात न. 96 मे सभी मुसलमानों को हुक्म दिया हे की मक्का एक घर है जो सबकी सबकी इबादत के लिए बनाया गया है जिसमे सभी मुसलमानों को आना ही होगा. इसी सूरत के आयात न. 97 मे भी आदेश दिया है की, ये हुक्म है अल्लाह का की तुम्हें मक्का आना होगा.
ये आदेश सबको दिया तो गया है पर अब इस्लाम के मानने वाले दुनिया भर मे है, तो कोई मुस्लिम मक्का से दूर भी रहता होगा इसीलिए उसके पास मक्का आने के लिए पैसे न हो, या फिर कोई ऐसा भी होगा की जिसका शरीर साथ ना देता हो इसकी वजह से वो इतना लम्बा सफर तय ना कर पाए हर इस्लामिक इंसान मक्का नही आ सकता इसी वजह से हज की छुट उन लोगो को दी गयी है जिसका ज़िक्र नीचे दिया गया है.
1.) जो लोग आर्थिक स्थिति से कमजोर है उन्हे हज यात्रा पर जाने की कोई आवश्यकता नही.
2.) जो लोग शारीरिक स्थिति से कमजोर है उन्हे हज ना करने की छुट है. वे ऐसे लोग हे जो इतना बड़ा सफ़र हासिल नही कर सकते.
हज यात्रा प्रोसेस इन हिन्दी | हज की पूरी जानकारी
हज यात्रा का मुहूरत अपने अँग्रेज़ी कॅलंडर से नही होता, बल्कि उसके लिए अलग सा इस्लामिक कॅलंडर का ईस्तमाल होता है. जिसे मुस्लिम कॅलंडर भी कहा जाता है, इसी कॅलंडर से हज यात्रा की शुरुआत की जाती है.
- हज यात्रा कब की जाती है ?
जैसा की आपको बताया की हज यात्रा करते वक़्त इसल्मीक कॅलंडर का ईस्तमाल होता हे. इसी कॅलंडर के 12 वे महीने मे हज यात्रा को शुरूवात होती है. इस महीने को धूल हिज़्जह भी कहा जाता है. इस धूल हिज़्जह महीने के तारीक़ 8 धूल हिज़्जह से हज यात्रा की शुरुआत होती है और 12 धूल हिज़्जह इस तारीख को हज यात्रा संपन्न हो जाती है. 10 धूल हिज़्जह वे तारीख हे जिस तारीख को पूरी दुनिया मे मुस्लिम बकरी ईद मनाते है.
इसी वक़्त उमराह भी करते है. उमराह और हज मे एक फरक हे की उमराह पूरे साल मे किसी भी वक़्त किया जा सकता है, पर हज सिर्फ़ 8-12 धूल हिज़्जह मे किया जा सकता है. जो साल मे एक ही बार आता है.
उमराह क्या है और उसको करने के रिवाज
उमराह मे सिर्फ़ तीन ही रिवाज होते है जिसके बाद उमराह ख़तम हो जाता है, जिसमे नीचे दिए गये रिवाज आते है.
- हल्क
/ कस्त्र - जिसका
का मतलब
है बालो
की कुर्बानी
देना, मतलब
सर मुंडवाना.
.
- अराफ़ात
पर जाना
- अराफ़ात नामक
एक hill हे
जहाँ पर
जाना.
- शैतान
को पत्थर
मारना - जिसमे
उमराह करने
वाले लोग
कंकड़ जमा
कर के
शैतान, जो
की पत्थर
के होते
हे उन्हे
कंकर से
मारते है.
ऐसा 7 बार
करना होता
है.
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एहराम : जो हज यात्री पहनते है |
हज्ज यात्रा करने के कितने प्रकार है ?
आप मे से बोहोत लोगो पता नही होगा की हज यात्रा के भी प्रकार होते है, जो की उमराह और हज करने तरीक़ों को मिलके बनाए गये है. जो नीचे दिए गये है.
- हज
-उल -इफ़राद
- हज
उल इफ़राद
एक ऐसी
हज यात्रा
हे जिसमे
सिर्फ़ हज
के लिए
एहराम बांधा
जाता है.
इस हज
के प्रकार
मे उमराह
का कोई
भी समावेश
नही होता.
इसमे सिर्फ़
और सिर्फ़
हज के
ही रिवाज
होते है
जो 8 से
लेकर 12 धूल
हिज़्जह तक
होते है.
- हज
-उल -किरण
- इस
हज के
प्रकार मे
हज यात्रा
के साथ
उमराह भी
शामिल होता
है. इस
प्रकार मे
हज और
उमराह का
अहराम एक
साथ बांधा
जाता है.
जिसे पहन
कर मक्का
जाना होता
है, और
उमराह के
सारे अरकम
पूरे किए
जाते है.
जो की
10 धूल हिज़्जह
तक चलता
है. ज़्यादातर
लोग इसी
प्रकार को
करते है,
जिसमे उमराह
और हज्ज
दोनो शामिल
होते है.
इस हज
की यात्रा
कुल 45 दीनो
तक चलती
है.
- हज
-उल - तमत्तु
- इस
हज यात्रा
मे सामान्यतः
पहले उमराह
के रिवाज
किए जाते
है उसके
बाद हज
यात्रा की
जाती है,
इस यात्रा
मे पहले
उमराह पूरा
हो जाता
है फिर
हज यात्रा
के रस्म
होते है.
जैसे ही
ये दोनो
के रिवाज
एक के
बाद एक
ख़तम हो
जाते है
तब हज
यात्रा पूरी
हो जाती
है.
लोग काबे को देख कर हाथ फैला के सच्चे मन से दुआ माँगते है, ऐसा कहा गया है की अगर तुम सच्चे मन से काबे के तरफ देख कर दुआ माँगोगे तो तुम्हारी दुआ ज़रूर पूरी होगी. हर मुस्लिम काबे तरफ देख के ये दुआ पढ़ता है.
“लब्बैईक अल्लाह हुम्मा लब्बैईक
लब्बैईक ला शरीका लका लब्बैईक
इन्नल हमदा
वॅन-नि'माता
लका वालमुल्क
ला शरीका लक.”
इसका मतलब है
“हे मेरे प्रभु, यहाँ मैं आपकी सेवा में हूँ, यहाँ मैं हूँ।
आपका कोई साथी नहीं है,
मैं यहां हूं।
सचमुच प्रशंसा
और प्रावधान आपके हैं,
और इसलिए प्रभुत्व और संप्रभुता है।
आपका कोई साथी नहीं है।”
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हर साल हज यात्री : लाखो के संख्या |
हज्ज यात्रा का पूरा प्रोसेस इन हिन्दी
हज यात्रा के प्रोसेस के बारे मे बताने से पहले आपको मिकाद के बारे मे पता होना चाहिए. मिकाद एक ऐसी जगह है जहा हज यात्री या उमराह करने वाले यात्री अपना एहराम बाँधते है. एहराम एक सफेद कपड़ा या चादर है जिसे हज यात्री अपने रोज़ मर्रा वाले कपड़े त्याग कर, सिर्फ़ एहराम बाँधते है. एहराम बंधना बोहोत ज़रूरी है. हज यात्री अपनी पूरी हज यात्रा मे एहराम बँधे रहता है. उसके बाद वे अपने रोज़ मर्रा वाले कपड़े पहन सकते है. मिकाद जेद्दाह शहर से 75 मिले पहीले है. बोहोत बार ऐसा होता है की हज यात्रियों को मक्का के बजाय सीधा मदीने की फ्लाइट होती है. इसी लिए मदीने से मक्का के सफ़र मे ही उमराह या हज की नियत करते है. फिर मक्का मे आते ही लोग मक्का के काबे को देख कर ही वे दुआ पढ़ते है जो आप ने उपर पढ़ी.
हज्ज यात्रा की आवश्यक विधिया :
- मीक़ात
- मीक़ात एक
जगह का
नाम है
जहा हज
यात्री और
उमराह करने
वाले यात्री
आकर एहराम
पहनते है
, जो-कि
एक सफेद
कपड़ा होता
है जो
सभी को
पहना होता
है.
- तलबिया
- तलबिया
यानी दुआ.
जब भी
हज यात्री
मक्का में
जाकर काबा
को देखता
है, वो
इस दुआ
को 3 बार
दोहराते है.
वे दुआ
उपर दी
हुई है.
- एहराम
- एहराम एक
सफेद चादर
होती है
जिनसे हज
यात्री अपने
शरीर को
ढक देते
है. पुरुषों
के लिए
2 चादर मिलती
है एक
उपरी शरीर
ढक ने
के लिए
और दूसरी
लूँगी की
तरह उपयोग
होता है.
वही दूसरी
तरफ महिलाए
सब कुच्छ
ढक कर
सिर्फ़ हाथों
और मुँह
को खुला
रखती है.
एहराम बांधने
से पहले
हज यात्री
अपने शरीर
को साफ़
कर लेते
है. जैसे
नाख़ून काटना,
हाथ मुँह
धो लेना.
- मक्का
पहुचने पर
- मक्का पहुचते
ही सभी
हज यात्रियों
को एक
होटल मे
रुकवाते है,
जहा पर
थोड़ा आराम
कर सभी
यात्री वजु
कर मस्जिद-ए-हराम
की और
चलते है.
और जैसे
ही काबे
को हज
यात्री देखते
हे तो
अल्लाह-हू-अकबर
कह कर
हाथ उठाके
दुआ माँगते
है. ये
दुआ ज़रूर
पूरी होती
है.
- काबा
का तवाफ़
- सबसे
पहले हज
यात्री नमाज़
की नियत
कर काबा
का तवाफ़
करता है.
काबा का
तवाफ़ मतलब
काबा का
7 बार तवाफ़
करना. इसका
मतलब हे
काबा को
7 बार परिक्रमा
करना. ये
परिक्रमा हज
यात्री काले
पत्थर से
शुरू करता
है (अल
- हजर - अल
-'अस्वाद’), जो
की काबे
के कोने
में होता
है. तवाफ़
होने पर
हज यात्री
मक्का मे
इब्राहिम के
पीछे 2 रकात
नमाज़ पढ़ते
है. उसके
बाद हज
यात्री जम-जम
का पानी
पीते है.
- सफा और मरवह
-सफा और
मरवह ये
दोनों काबा
के पास
छोटी सी
पहाड़िया है
, जहा पाहिले
के ज़माने
में इन
पहाड़ियों के
चक्कर लगते
थे . आज
फाई ये
परंपरा चालू
है. काबे
को परिक्रमा
लगाने के
बाद हज
यात्री सफा
पहाड़ी पर
जा कर
सई की
नियत करते
है. फिर
हज यात्री
सफा से
मरवह के
तरफ जाते
है फिर
बाद मे
मरवह से
सफा आते
हे, ऐसे
हज यात्री
7 बार चलके
उनके भी
चक्कर लगा
देते है.
- हल्क
या कस्त्र
- उपर दिए
गये सभी
रिवाज होने
के बाद
हज यात्री
मस्जिद से
बाहर आकर
हल्क यानी
अपना सर
मुंडवाते है.
अगर किसीको
पूरा मुंडन
ना कर
ना हो
उसे कस्त्र
की इजाज़त
है यानी
सर के
बालो का
⅓ हिस्सा क़ुर्बान
करना. जो
ज़्यादातर औरते
करती है,
अपनी चोटी
का कुछ
हिस्सा कांट
कर.
ये सब होने के बाद हज यात्रियों का उमराह मुकम्मल हो जाता है. उसके बाद सभी हाजियों का अरकान शुरू होता है. यहा से 5 दिन हज का अरकान शुरू होता है. जहा से सभी हाजी 5 दिन तक एहराम बँधे हज पूरा करते है. हज का अरकान 8 धूल हिज़्जह से लेकर 12 धूल हिज़्जह तक चलता है. इन 5 दीनो के बारे मे जानने के लिए आगे पढ़े.
हज्ज यात्रा के वो 5 दिन | हज्ज यात्रा की जानकारी (पूरा प्रोसेस)
हज्ज यात्रा के 5 दिन होते है. सारे हाजी इन 5 दीनो मे एहराम को बँधे रहते है. जैसे ही उनका हज का अरकान ख़तम होता है वे अपने रोज़ मर्रा वाले कपड़े पहन सकते है.
- 8
धूल हिज़्जह - हज का पहला दिन -
8 धूल हिज़्जह हज का पहिला दिन होता है, जहा हर हज यात्री एहराम बांधता है. एहराम बांधकर सारे हज यात्रियों को बस द्वारा मीना मे ले जाया जाता है. मीना मे हज यात्रियों के लिए सारा इंतज़ाम रहता है. उनके लिए टेंट बनाए रहते है, जहा पर खाने से लेकर कपड़े, चादर सभी चीज़ो का बरकाई से ख़याल रखा जाता है. यहा पर सभी हज यात्री नमाज़ अता करते है. पूरी रात हज यात्री मीना मे ही गुजारते है.
- 9
धूल हिज़्जह - हज का दूसरा दिन -
9 धूल हिज़्जा को शुरू होता है हज का दूसरा दिन. इस दिन हज यात्री मीना मे सुबह फज्र की नमाज़ पढ़ने के बाद अराफ़ात को रवाना होते है. वहां पर सभी हज यात्री दुआ करते है, सभी यात्री यहा खुले मैदान मे आसमान के तरफ देख कर दुआ माँगते है. उसके बाद शाम को सभी हज यात्री मुजदलफा के तरफ रवाना होते है. मुजदलफा एक ऐसी जगह होती है जहा पर कोई भी रहने की सुविधाएं नही होती , सभी हज यात्री पूरी रात खुले आसमान मे बिताते है. रात को ही सभी हज यात्री मुजदलफा के मैदान मे शैतान को मारने के लिए कंकड़ जमा करते है. ये कंकड़ हज यात्री 10 और 11 धूल हिज़्जा को शैतान को मरने के लिए ईस्तमाल करते है.
- 10
धूल हिज़्जह - हज का तीसरा दिन -
10 धूल हिज़्जा के दिन सभी हज यात्री सुबह नमाज़ पढ़ कर, मुजदलफा से मीना के लिए रवाना होते है. मीना मे पहुचने पर सारे यात्री अपने टेंट मे जाकर थोड़ा आराम करते है. इस दिन हज यात्री 4 अमल को पूरा करते है - शैतान को कंकड़ मारना / जानवर की कुर्बानी देना / एक बार फिर हल्क या कस्त्र करना / और मक्का जाकर काबा का तवाफ़ या ज़ियारत करना.
·
शैतान कोप पत्थर मारना - साहिटन को पत्थर मारना 10 धूल हिज़्जा का पहिला अमल है जहा सदभी हज्ज यात्री बड़े शीतन को मरने के लिए 7 कंकर लेकर जाते है. (जो रात को मुज़डल्फ़ा मे इकट्ठा किए थे). 7 कंकर को लेकर सभी हज यात्री एक बड़े शीतन के पास जाते हे जिसे जमाराह अख़बा कहा जाता है. और उसे हज यात्री एक एक कर 7 कंकड़ मरते है. कंकर मरने का वक़्त सिर्फ़ शाम तक ही होता ही.
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जानवर की कुर्बानी - जानवर की कुर्बानी देना 10 धूल हिज़्जा का दूसरा अमल है, जिसमे सारे हज यात्री जनवारो की कुर्बानी देते है. पहले के जमाने मे जानवर की कुर्बानी खुद हज यात्री दिया करते थे. पर अब ऐसा नही रहा, अब पहले से हज यात्रियों को बैंक मे पैसा जमा करना पड़ता है जिससे उन्हे बाद मे एक टोकन मिलता है जिससे पता चलता है की कुर्बानी हो गई. ये वही दिन होता है जहा पूरी दुनिया मे लोग ‘बकरी ईद’ मनाते है.
कुर्बानी के बाद एक बार फिर हज यात्री अपने बाल मुंडवाते है. इसके बाद हज यात्री एहराम खोल देते है और अपने रोज़ मर्रा वाले कपड़े पहन सकते है.
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मक्का जाकर काबा का तवाफ़ या ज़ियारत करना - कुर्बानी और हल्क होने के बाद सभी हज यात्री एक बार फिर मक्का जाते है. और काबा का तवाफ़ करते है और हाथ उठा कर दुआ करते है. और हज की नियत बाँधते है. यहा सब हज यात्री ठीक वैसा ही करते है जैसा उन्होने उमराह के वक़्त किया था. पूरा प्रोसेस वैसा ही किया जाता है जैसा शुरुआत मे किया था.
- 11
धूल हिज़्जह - हज का चौथा दिन -
11 धूल हिज़्जह के दिन हज यात्री 3 शैतानो को कंकर मारते है. कंकर मारने का भी एक वक़्त होता है उसी वक़्त मे तीनो शैतानों को कंकर मारना पड़ता है. कंकर मारने का तरीका कुच्छ ऐसा हे की सबसे पहले जमाराह-उलह मतलब छोटे शैतान को 7 कंकर एक के बाद एक मारे जाते है. फिर उसके बाद जमा-राह-हश का यानि मंज़ल-ए-शैतान को कंकर मारते है. इसीतरह जमाराह-अख़बा यानी बड़े शैतान को कंकर मारते हे.
उपर दिए गये पहले दोनो शैतानों को कंकर मरने पर हज यात्री हाथ उठाकर दुआ माँगते है, पर जैसे ही वो तीसरे शैतान को कंकर मारते है तब कोई भी दुआ नही की जाती. उसके बाद सारे हज यात्री अपने होटेल्स मे जाते है.
- 12
धूल हिज़्जह - हज का पाँचवाँ दिन -
इस दिन यानी 12 धूल हिज़्जह को सभी हज यात्री सूर्यास्त से पहले हज यात्री मीना इस शहर को छोड़ देते है. और अगर कोई सूर्यास्त से पहले मीना नही छोड़ता तो उसे दूसरे दिन यानी 13 धूल हिज़्जह को फिर से तीनो शैतानों को कंकर मारने होगे.
और अगर किसी ने अभी तक कुर्बानी, हल्क या कस्त्र अभी तक नही किया हो तो वे इसी दिन कर लेते है. इसी प्रकार हज यात्रियों का पूरा हज मुकम्मल हो जाता है.
हज्ज के लिए कितना पैसा लगता है ?
अब आख़िरी बात की हज करने के लिए आख़िर कार कितने पैसे लगते है. दर असल हज करने के लिए कितने पैसे लगते है, ये आप exactly बता नही सकते. दर साल हज करने के लिए कम ज़्यादा खर्च होता है. रिपोर्टर के मुताबिक 2018 मे एक हज यात्री को करीब 2.50 लाख रुपया का खर्चा होता था अब ये आँकड़ा बढ़ भी सकता है.
ये दुखद जरूर हे की 2020 मे Covid-19 के चलते हज यात्रा को कोई जा नहीं पाया. इसकी वजह से कही हज यात्री हताश हो गये होंगे, पर हताश होने की कोई बात नही, उपर वाला जो भी करता हे वो सही करता है.
हज यात्रा के बारे मे अपने क्या जाना :
मे उम्मीद करता हू की आपको हज यात्रा क्या है ? इस सवाल का जवाब मिल चुका होगा. मैने बोहोत सी बाते आपको बताई जैसे हज यात्रा क्या है ? इस आर्टिकल के चलते बताई है. इन टॉपिक्स मे मैने बताया की हज यात्रा कैसे की जाती है, हज यात्रा की पूरी जानकारी, इसके साथ साथ मैने हज यात्रा की पूरे रस्म और हज के 4 अमल के बारे मे बताया. आप इस आर्टिकल को पढ़ कर हज यात्रा के लिए कितने पैसे लगते हे इसी कि भी जानकरी आपको मिल गयी होगी. मतलब मैंने आपको वो सारी बाते बता दी जो आपको पूछनी थी, मैने आपको हज यात्रा का पूरा प्रोसेस इन हिन्दी मे भी बताया. आशा करता हू आपको सारी बाते अच्छे से समज आई होगी.
अच्छा सोचो , अच्छा करो
मचाते रहो !
जय हिंदी...
Wah wah MashaAllah!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
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